गौतमबुद्ध नगर जिले की सबसे बड़ी चोरी में कई राज खुलने लगे हैं। नोएडा पुलिस की जांंच में पता चला है कि राममणि पांडे और किशलय पांडे के घर से चोरी हुआ सोना कालेधन के रूप में रखा हुआ था। यह खुलासा होने के बाद आयकर विभाग की टीम ने भी शनिवार को जांच शुरू कर दी है। वहीं, एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि ऐसी आशंका है कि फ्लैट से मिला सोना बाप-बेटे विदेश से तस्करी कर भारत लाए थे।

विवाद हुआ तो खुला राज : ग्रेनो के सिल्वर सिटी सोसाइटी के फ्लैट से 23 सितंबर 2020 को चोरों ने 36 किलो सोना और छह करोड़ से ज्यादा रुपये चोरी किए थे। पुलिस ने बताया कि फ्लैट मालिक किशलय ने गोपाल नाम के व्यक्ति को फ्लैट की सुरक्षा के लिए तैनात किया था। गोपाल ने नोएडा व गाजियाबाद के साथियों की मदद से चोरी की साजिश रची। चोरों के बीच धन के बंटवारे को लेकर विवाद हो गया था। इसके बाद पुलिस ने शुक्रवार को छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों से 13 किलो सोना, एक करोड़ की संपत्ति के कागजात व 57 लाख रुपये मिले।

पूछताछ शुरू : वहीं आयकर विभाग ने शनिवार को आरोपियों से चोरी के पैसे और सोने के बारे में पूछताछ की। टीम ने सभी के लिखित में बयान दर्ज किए। आरोपियों ने बताया कि उन्होंने गोपाल की मदद से फ्लैट में चोरी की थी। पैसा और सोना किसका है और कहां से आया है, इसकी कोई जानकारी नहीं है। ईडी की टीम भी इन लोगों से जल्द पूछताछ करेगी।

मास्टरमाइंड गोपाल की तलाश में छापेमारी : पुलिस चोरी के मास्टरमाइंड गोपाल की तलाश में गाजियाबाद में छापेमारी कर रही है। पुलिस ने अनुसार, आरोपियों ने खुलासा किया है कि चोरी के करोड़ों रुपये और सोना गोपाल के पास है।

आरोपी के विला में पहुंची पुलिस

पुलिस की कीए टीम ने कालाधन रखने के आरोपी किशलय पांडे और राममणि की तलाश में आम्रपाली ग्रांड विला में छापेमारी। यहां पर पुलिस को किशलय की पत्नी मिली। उसने बताया कि उसका पति अमेरिका में है, जबकि पुलिस का दावा है कि वह नेपाल में छिपा है। वहीं पुलिस ने विला की तलाशी ली तो कोई अहम सबूत नहीं मिला। हालांकि, कुछ दस्तावेज पुलिस के हाथ लगे हैं।

कई शहरों में 12 से ज्यादा मुकदमे दर्ज : एडीसीपी

एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि कालाधन रखने वाले राममणि पांडे और उसके बेटे किशलय पांडे के खिलाफ धोखाधड़ी के खिलाफ 12 से ज्यादा मुकदमे विभिन्न शहरों में दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि दोनों आरोपियों के खिलाफ सीबीआई और ईओडब्ल्यू में भी मामलों का ट्रायल चल रहा है। आरोपी 2002 से फर्जीवाड़े के धंधे में लिप्त हैं। इनके खिलाफ अन्य मामलों की भी जांच की जा रही है।