शाहजहाँपुर-“इंद्र कुलिस मम शूल विशाला, कालदण्ड हरि चक्र कराला”अर्थात, इंद्र के कुलिस और भोलेनाथ के त्रिशूल यहाँ तक कि मृत्यु का असामयिक दण्ड प्रदान कर सकने वाले जगपालनहार के सुदर्शन से भी बढ़कर है विप्रद्रोह! जिसको अंगीकार कर जीवन की कल्पना असंभव है।
श्रीरामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में उल्लिखित उपरोक्त चौपाई की परिभाषा समझाने के उद्देश्य से शहर के नवनिर्मित परशुराम जन्मस्थल परिसर में ब्राह्मण समाज के संस्थापक राजाराम मिश्र और संरक्षक सत्यप्रकाश मिश्र की प्रेरणा से संपन्न हुई बैठक का संगठन के प्रदेश महामंत्री हरिशरण बाजपेयी ने प्रतिनिधित्व किया। सत्कर्मों की रह पर चलने वाले समाज को आध्यात्मिक प्रेरणा देने वाले हरिशरण बाजपेयी के सराहनीय कार्यों की भूरि भूरि प्रंशसा करते हुए पं0 राजाराम मिश्र ने कहा कि ब्राह्मण सिर्फ विचारों से इतर हो सकते हैं, एकता से कभी नही। मिश्र ने कहा कि ब्राह्मणों का संदेश तो कीर्तिमान लिखता है।पं0 हरिशरण बाजपेयी ने कहा कि संस्कारों से बड़ा कोई संविधान नही है, ब्राह्मण समाज को संसार का प्रणेता बताने वाले राजा राममोहन राय के शब्द इतिहास में वर्णित हैं कि “ब्राह्मण उदय से अस्त तक का निर्माता है”।श्री बाजपेयी के शब्द, मन्त्रमुग्ध कर देने वाले वचनों को सुनकर उत्पन्न हुई करतलध्वनि का सम्पूर्ण सभा परिसर साक्षी बना।ब्राह्मण समाज की बैठक में मंचासीन पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने ब्रह्महित व समाजहित का संकल्प लेकर बैठक को अग्रिम आदेश तक स्थगन की घोषणा की।