शाहजहाँपुर :-मुख्य विकास अधिकारी श्याम बहादुर सिंह ने सोमवार को जिले में बड़े स्तर पर हो रही ड्रैगन फ्रूट की खेती का निरीक्षण किया तथा पौधा लगाने से लेकर बाजार तक की विस्तृत जानकारी प्राप्त की उन्होंने कहा कि वह किसानों के प्रतिनिधिमंडल को ड्रैगन फ्रूट की खेती देखने के लिए भेजेंगे ताकि जिले में बड़ी संख्या में लोग ड्रैगन फ्रूट की खेती करें।मुख्य विकास अधिकारी एस.बी सिंह चिड़ावा गांव में ड्रैगन फ्रूट की खेती देखने पहुंचे तथा खेत के स्वामी श्री अंशुल मिश्रा से वार्ता की। श्री मिश्रा ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती जमीन से लेकर इमारत पर भी की जा सकती है तथा प्रति हेक्टेयर लगभग ₹1500000 सालाना की आय होती है। इस फल के खाने से शरीर के अंदर मौजूद तमाम बीमारियों भी खत्म हो जाती है। उन्होने ड्रेगन फ्रूट की खेती को शुरू करने के विषय में बताते हुये कहा कि उन्होंने चेन्नई से बीटेक की अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मोटी तनख्वाह वाली नौकरी नहीं की क्योंकि वह अपने गांव के लोगों के लिए कुछ बड़ा करना चाहते थे और अपने जिले का नाम रोशन करना चाहते थे। मिश्रा ने बताया कि वह 2018 में महाराष्ट्र के शोलापुर से ड्रैगन फ्रूट (पिताया) का पौधा लाए और अपने परिवार की बंजर जमीन पर इसकी खेती शुरू की। उन्होंने बताया कि अब वह पांच एकड़ भूमि पर इसकी खेती कर रहे हैं। उनकी योजना अगले वर्ष से इसकी खेती और अधिक जमीन पर करने की है। पहले उनके परिवार की जमीन पर गेहूं उगाया जाता था, लेकिन फसल बेचकर उसकी लागत तक प्राप्त नहीं हो पाती थी। ड्रैगन फ्रूट के अलावा वह बिहार, मध्य प्रदेश और हरियाणा सहित अन्य राज्यों के किसानों को इसके पौधे भी बेच रहे हैं और इसकी खेती करने की युक्ति भी साझा कर रहे हैं। इस दौरान उन्होने कहा इसकी खेती को कृषि पर्यटन के रूप में विकसित होने की संभावना है।
जिले के मुख्य विकास अधिकारी श्याम बहादुर सिंह ने बताया कि किसानों को ड्रैगन फ्रूट की फसल,लागत,बाजार आदि की जानकारी देने के साथ-साथ उन्हें प्रशिक्षित भी किया जाएगा। वह जनपद के किसानों को इस खेती के लिए प्रेरित करेंगे तथा शीघ्र ही किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल बनाकर भेजेंगे जिससे किसान भी ड्रैगन फ्रूट की खेती करके अधिक से अधिक आय प्राप्त कर सकें क्योंकि यह खेती विदेशों में बड़ी मात्रा में की जाती है, उन्होने कहा हमारा उद्देश्य है कि शाहजहांपुर में भी इसकी खेती प्रचुर मात्रा में हो।
श्री सिंह ने बताया की खेती करने के लिए जमीन गमले दीवारों का उपयोग करके भी इसकी खेती की जा सकती है साथ ही यह नागफनी का ही एक पति रूप होता है इसका पौधा नागफनी के पौधे से मिलता-जुलता होता है इस में कांटे होते हैं जिसके चलते जानवरों से भी इस फसल को खतरा नहीं होता है क्योंकि कांटों के चलते जानवर खेत के अंदर नहीं घुस पाते और फसल का नुकसान नहीं होता है।
इस दौरान अतिरिक्त मजिस्ट्रेट एवं जलालाबाद ब्लाक के प्रभारी शैलेंद्र गौतम आदि मौजूद रहे।