शाहजहांपुर। जिला कृषि, औद्योगिक एवं सांस्कृतिक प्रदर्शनी बुलंदशहर के तहत अखिल भारतीय मुशायरे का आयोजन किया गया। डीएम चंद्र प्रकाश सिंह ने दीप जलाकर मुशायरे का शुभारंभ किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि ऐसे साहित्यिक कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने मुशायरा की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी। बुलंदशहर के रवींद्र नाट्यशाला मंच पर बीती रात हुए मुशायरे की शुरुआत मशहूर शायर अज्म शाकरी ने नात पाक से की। वसीम रामपुरी ने देशभक्ति गीत गाया। मुशायरे में मशहूर शायरों ने गीतों ग़ज़लों से राष्ट्रीय एकता, भाईचारे व सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश दिया।शायर जौहर कानपुरी, कानपुर ने सुनाया –
धूप को आज़मा रहा हूं मैं।
मोम का घर बना रहा हूं मैं।।
खुर्शीद हैदर, मुजफ्फरनगर ने कहा –
कसम ईमान की वह खा रहे हैं।
मगर ईमान हमारा जा रहा है।।
इकबाल अशहर, दिल्ली ने गुनगुनाया –
यही जुनून यही एक ख़्वाब मेरा है।
वहां चराग जला दूं जहां अंधेरा है।।
राशिद हुसैन राही, शाहजहांपुर ने तरन्नुमी लहजे में कहा –
जो भी दीवार उठाते हो वह गिर जाती है।
घर बरसते हुए पानी में बनाते क्यों हो।।
अज्म शाकिरी, गंजडूंडवारा –
मैं जिसे अपनी जां समझता था।
सच तो ये है वह मेरी थी ही नहीं।।
शैदा अमरोहवी-
उनका अक्स आया था एक बार आंखों में।
आज तक है वह मंज़र बेकरार आंखों में।।
आदिल रशीद, दिल्ली -रोटी की फिक्र ने उसे रिक्शा थमा दिया।भटका बहुत वह हाथ में डिग्री लिए हुए।।विजय तिवारी, भोपाल -ज़बान चलने लगी लब कुशाई करने लगे।नसीब बिगड़ा तो गूंगे बुराई करने लगे।।दीक्षित दनकौरी, दिल्ली- पसारूं हाथ क्यों आगे किसी के।तरीक़े और भी हैं खुदकुशी के।।शाहनजर जहाज़ देवबंदी – लड़वा रहे हैं जो हमें धर्मों के नाम पर।अल्लाह करे कि उनको जहन्नम नसीब हो।।दानिश ग़ज़ल, मेरठ -मुमकिन है दोस्ती की तरफ़ हो ये उनका हाथ।दुश्मन ने घर लिया है मेरे घर के सामने।।इनके अलावा अना देहलवी, शाइस्ता सना, राधिका मित्तल बदायूं, अफरोज तांडवी, आमिर मेरठी, निजामी राही ने भी गजलें प्रस्तुत कीं। अध्यक्षता मौलाना डॉ. जहीर अहमद ने की। संचालन इस्माइल नज़र ने किया। इससे पहले मुशायरा संयोजक इरशाद अहमद शरर व नदीम अख्तर ने शायरों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। कार्यक्रम में एडीएम वित्त विवेक मिश्र, एसडीएमजे अब्बास हसन नकवी, अख़्तर हुसैन, प्रदर्शनी समिति के सदस्य मुकीम आज़ाद, सैयद अली अब्बास, आदिल हुसैन, ऐन मीम कौसर, डॉ. असलम बरनी, अब्दुल्ला, इमरान राणा, नादिरा, इमराना, ताहिर सैफी, फहीम कमालपुरी, समीर अहमद, अर्शी सआदत, सायमा, इफरा, अब्दुल वाहिद सहित तमाम श्रोता मौजूद रहे।