यूपी के शाहजहांपुर में उत्तर प्रदेश साहित्य सभा की शाहजहाँपुर इकाई द्वारा प्रथम काव्य समागम का आयोजन कटिया टोला स्थित महेश गुप्ता के आवास पर सम्पन्न हुआ।
काव्य समागम का आरम्भ कवयित्री सरिता वाजपेयी ने मां शारदे की वंदना से किया। जिसके बाद उपस्थित कवियों ने अपनी-अपनी रचनाएं इस प्रकार सुनाईं ,
विशेष आमंत्रित कवि सुशील दीक्षित ‘विचित्र’ ने कुछ यूँ कहा,
देश नहीं चलता है जलते प्रश्नों को ढोने से।,
देश नहीं चलता है मखमल के गद्दे पर सोने से।।,
कवयित्री सरिता बाजपेयी ने सुनाया,
यूँ सफ़र में बसर करने वाले।
सदा आंखों ने देखे उजाले।,
राह की ठोकरें हम से बोलीं,
हुई मंजिल ये तेरे हवाले।।,
संचालन करते हुए ज़िला संयोजक कवि डॉ इन्दु अजनबी ने सुनाया,
जिससे मन प्राण हुए दोनों सुवासित मेरे,
तेरा छूना किसी चन्दन की छुअन जैसा था ।।,
राशिद हुसैन राही जुगनू ने सुनाया,
आज इक खत मिला ऐसा के लिखा है जिसमें।,
जब तलक सांस रही आपका रस्ता देखा।।,
जिसके साये में ठहर जाते थे दौराने सफर।,
अब के तो राह का वह पेड़ भी सूखा देखा।।,
कवि प्रदीप वैरागी ने सुनाया,
कोई लौटा दे वह बचपन उछलना चाहता हूँ।,
पकड़ पापा की उंगली फिर से चलना चाहता हूँ।।,
ओज के चर्चित रचनाकार उर्मिलेश सौमित्र ने सुनाया,
जब लिखने की बारी आई तो पहले बलिदान लिखा।,
जिंदाबाद जवानी लिख दी जिंदा हिंदुस्तान लिखा।।,
रामबाबू शुक्ला ने सुनाया,
देख अन्याय चुप रहना मेरी आदत नहीं है।,
मौत के भय से घबराना मेरी आदत नहीं है।,
लेखनी झुक नहीं सकती भले ही हाथ कट जाएँ,
झूठ को सत्य लिख पाना मेरी आदत नहीं है ।।,
अरविंद पंडित ने अपने विचार इस प्रकार रक्खे,
तुम सबल पुरुषार्थ का प्रमाण दीजिए।,
फिर से नया भगीरथ निर्माण कीजिए।।,
सुदीप शुक्ला ने सुनाया,
न दायां हाथ भी बाएं पे विश्वास करता है।,
गरीबों की व्यथा छोड़ो मिडिल भी रोज मरता है,
पीयूष शर्मा ने सुनाया,
प्यार की राजधानी मुकम्मल हुई।,
एक तस्वीर यानी मुकम्मल हुई।,
तुम मिले तो सदा धड़कनों से उठी,
लो हमारी कहानी मुकम्मल हुई ।।,
विवेक शर्मा ने सुनाया,
जीवन है संघर्ष विकृति से, युद्ध चेतना का शरीर है।,
न्याय हेतु जो रण स्वीकारे, शक्तिपुंज वह परमवीर है।।,
नवोदित कवि रजनीश प्रसाद कश्यप ने सुनाया,
तुम कहो तो इश्क की प्यारी बातें मैं तुम्हें सुनाऊँ।,
और कुछ मधुमास की मीठी रातें भी तुम्हें सुनाऊँ।,
मैं बता सकता हूँ तुम्हें किस्सा कोई खुशी का।,
और मैं सुना भी सकता हूँ चुटकुला कोई हंसी का।,
इनके अतिरिक्त मनोज शर्मा गोपाल ने भी काव्य पाठ किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ संस्था संरक्षक, समाजसेवी डॉ. रवि मोहन ने माँ शारदे के चित्र पर माल्यार्पण व समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसके बाद संस्था के सचिव युवा गीतकार पीयूष शर्मा ने अतिथियों का बैज लगाकर स्वागत किया।
अन्त में आभार महेश गुप्ता द्वारा व्यक्त किया गया।