शाहजहाँपुर-मांग और सप्लाई का गणित बिगड़ने से अन्तर्राष्ट्रीय बाजार मे खाद्य तेलों की कीमत मे इजाफा हुआ है! इससे पहले जब दालों के दाम बेतहाशा बढ़े तो सरकार ने आयात कोटे और भंडार सीमा पर पाबंदिया लगाई थी! ताकि कोई भी व्यापारी ज्यादा स्टांक न कर सके! अब राज्यों के खाद्य मंत्रालय को सतर्क को होकर काम करना होगा और खाद्य तेलों की आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी! चाहे उसे छापामारी ही क्यों न करनी पड़े! हाल ही मे सरकार ने पाम का उत्पादन बढ़ाने की महत्वकांक्षी योजना का प्रारुप पेश किया है! उम्मीद है कि, नए प्रयासों से खाद्य तेलों के मामले में भी भारत आत्मनिर्भर बनेगा! सरकार को ध्यान देना चाहिए कि जल्द ही देश के पांच राज्यों मे विधानसभा के चुनाव होने है, और मतदाता इस मुद्दे पर उम्मीदवारों का तेल निकाल सकती है!भारत में हर साल करीब 25 मिलियन टन खाद्य तेलों की खपत का अनुमान है! इसमें से भारत में करीब 8 मिलियन टन तक का ही उत्पादन हो पाता है, बाकी बचा पूरा हिस्सा अन्य देशों से आयात किया जाता है! भारत में खाद्य तेलों की कुल खपत का करीब दो-तिहाई हिस्सा आयात किया जाता है!बीते सालों में भारत में बढ़ती आबादी और खान-पान की आदतों में बदलाव के लिहाज से खाद्य तेलों की मांग लगातार बढ़ी है! अगर ये कहा जाए कि खाद्य तेलों का आयात ही इनके दामों में तेजी का प्रमुख कारण है, तो गलत नहीं होगा! दरअसल, कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया प्रभावित हुई है और लगभग हर देश में महंगाई का यही हाल है! बीते कुछ महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें लगातार बढ़ी हैं!