उन्होंने आध्यात्मिक संस्थाओं के लिए मैनपुरी स्थित स्वामी एकरसानंद आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद सरस्वती को उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया है।1988 में शाहजहांपुर आये चिन्मयानंद 34 साल के जीवन मे अध्यात्म व राजनीतिक के शिखर पर पहुँचने के बाद शिक्षा क्षेत्र में जनपद के लिए उल्लेखनीय कार्य किये हैं।गोंडा में जन्मे स्वामी चिन्मयानंद स्वामी शुकदेवानंद की तीसरी पीढ़ी के संत है उन्होंने स्वामी धर्मानंद सरस्वती से दीक्षा ली थी। इसके बाद संबंधित संस्थाओं की बागडोर संभाली। 1984 से 1989 तक श्री राम जन्मभूमि मुक्तिसंघर्ष समिति संयोजक के रूप में राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया। इस दौरान उन्होंने सम्पूर्ण भारत मे भ्रमण कर रामजन्म भूमि मंदिर के लिए जागरूक किया,विश्वविद्यालय में युवा वर्ग को राम की आस्था से जोड़ा। स्वामी चिन्मयानंद लगातार निर्मल धारा सत्त्त प्रवाह के लिये संघर्षशील रहे। हुगली से गंगासागर तक 24 दिन नौका में रहते हुए गंगा अभियान को गति दी।दर्शन शास्त्र में पीएचडी उपाधि प्राप्त स्वामी चिन्मयानंद तार्किक व मार्मिक दोनों ही प्रकार से गीता के कर्मयोग के व्याख्यान के लिए प्रसिद्ध रहे।
राजनीतिक सफ़र में स्वामी चिन्मयानंद 1991 में बदायूं से सांसद बने। 1988 मछलीशहर तथा 1991 में जौनपुर से संसद में प्रतिनिधित्व किया।2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में गृह राज्यमंत्री बनाये गए। पूर्वोत्तर राज्य प्रभारी के रूप में उन्होंने बोडोलैंड समस्या समाधान कराया।
आध्यात्मिक सफर में स्वामी चिन्मयानंद ने शाहजहांपुर के मुमुक्षु आश्रम, बद्रीनाथ में परमार्थ लोक,वृदावन में परमार्थ निकुंज, वृजघाट में श्रीकृष्ण आश्रम,हरिद्वार में पावनधाम आश्रम, मोंगा पंजाब में गीता मंदिर स्वामी अध्यक्ष हैं। उन्होंने अब अपने समकक्ष मैनपुरी के महामंडलेश्वर को स्वामी हरिहरानंद सरस्वती को उत्तराधिकारी घोषित किया है और स्वयं राजनीतिक रूप से संन्यास भी ले लिया है।