शाहजहांपुर | बंदरों का उत्पात बढ़ता जा रहा है। इनके हमले में लोगों की जान जा रही है। घायल हो रहे हैं, पर राहत दिलाने की बजाय अधिकारी विभागीय खींचतान में उलझे हुए हैं। शुक्रवार को शाम छत पर गई महिला पर बंदरों के झुंड ने हमला बोल दिया। जिससे वह हड़बड़ाकर गिर पड़ीं और उनका पैर टूट गया। घायल को फर्रुखाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कस्बा निवासी राजेंद्र कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी प्रेमा किसी काम से छत पर गई थीं। तभी वहां मौजूद बंदरों ने उन पर हमला कर दिया। प्रेमा बचने के लिए भागीं तो छत पर ही गिर पड़ीं और उनका पैर टूट गया। शोर सुनकर राजेंंद्र व अन्य स्वजन छत पर गए और बंदरों को भगाया। इसके बाद महिला को स्वजन फर्रुखाबाद के अस्पताल में ले गए।जहां उनका उपचार चल रहा है। कस्बे के विनोद कुमार वर्मा, मनोज गुप्ता ने बताया कि बंदरों को पकड़वाने के लिए कई बार अधिकारियों को पत्र दिए, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। रामहरि गुप्ता, गौरव, अजय वर्मा ने बताया कि इससे पूर्व भी कई लोग बंदरों के काटने से घायल हो चुके हैं, पर अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे। 16 अगस्त को तिलहर के चांदपुर गांव में बंदरों के कूदने के कारण गिरे टीनशेड व कच्ची दीवार गिरने से महिला की मृत्यु हो गई थी। अल्हागंज थाना क्षेत्र के मुहल्ला अधुई निवासी बुजुर्ग लईक हुसैन की बंदर के हमले से छत से गिरकर मौत हो चुकी है।
कलान थाना क्षेत्र के मुहल्ला दुर्गा देवी मंदिर निवासी गेंदन लाल शाक्य की चार वर्षीय बेटी अमृता की बंदरों के हमले से छत से गिरकर मौत हुई। मीरानपुर कटरा के मुहल्ला बंगशान में लकड़ी ठेकेदार रियासत खां की बंदर के हमले में मौत हो चुकी है। खुदागंज क्षेत्र के सदर मुहल्ला निवासी विमलेश कुमारी गले में बंदर के काटने से मौत हो गई थी। गढि़या रंगीन थाना क्षेत्र के गौटिया अंतू गांव में बंदरों के हमले में गांव की रीना की मौत हो गई थी। सख्त हैं नियम !!
शासन की गाइडलाइन के अनुसार बंदर को पकड़ा ही जा सकता है। उनको मारा नहीं जा सकता। बंदर को पकड़ने के बाद पिंजरे में बंद किया जाना जरूरी है। एक बंदर पकड़ने में आठ सौ रुपये का खर्च आता है। इनको पकड़ने के लिए मथुरा से एक्सपर्ट बुलाए जाते हैं।